क्यों गांधी जी को महात्मा कहना ग़लत है ? क्या है पूना पैक्ट का इतिहास ?

बाबा साहेब ने अछूतों की समस्याओं को ब्रिटिश सरकार के सामने रखा था....और उनके लिए कुछ विशेष सुविधाएँ प्रदान किये जाने की मांग की....

बाबा साहेब की तर्कसंगत बातें मान कर ब्रिटिश सरकार ने विशेष सुविधा एँ देने के लिए बाबा साहेब डा. अम्बेडकर जी का आग्रह मान लिया.....और 1927 में साइमन कमीशन भारत आया,
मिस्टर गांधी को साइमन कमीशन का भारत आना पसंद नहीं आया,
अतः उन्होंने जबर्दस्त नारे लगवाया, "साइमन कमीशन गो बैक"
बाबा साहेब ने ब्रिटिश सरकार के सामने यह स्पष्ट किया कि अस्पृश्यों का हिन्दुओं से अलग अस्तित्व है वे गुलामों जैसा जीवन जी रहे है,इन को न तो सार्वजानिक कुओं से पानी भरने की इज़ाज़त है न ही पढ़ने लिखने का अधिकार है,
हिन्दू धर्म में अछूतों के अधिकारों का अपहरण हुआ है....और इनका कोई अपना अस्तित्व न रहे इसी लिए इन्हें हिन्दू धर्म का अंग घोषित करते रहते है....
सन 1930, 1931, 1932, में लन्दन की गोलमेज कॉन्फ्रेंस में बाबा साहेब डा. अम्बेडकर जी ने अछूत कहे जाने वाले समाज की वकालत की....उन्होंने ब्रिटिश सरकार को भी नहीं बख्सा और कहा कि.....क्या अंग्रेज साम्राज्य शाही ने छुआ-छूत को ख़त्म करने के लिए कोई कदम उठाया.....
ब्रिटिश राज्य के डेढ़ सौ वर्षों में अछूतों पर होने वाले जुल्म में कोई कमी नहीं आई....
बाबा साहेब ने गोलमेज कॉन्फ्रेंस में जो तर्क रखे वो इतने ठोस और अधिकारपूर्ण थे कि ब्रिटिश सरकार को बाबा साहेब के सामने झुकना पड़ा....
1932 में रामसे मैक्डोनल्ड ने अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व के लिए एक तत्कालीन योजना की घोषणा की.... इसे कम्युनल एवार्ड के नाम से जाना गया....
इस अवार्ड में अछूत कहे जाने वाले समाज को" दुहरा अधिकार " मिला👇🏽
1⃣प्रथम वे सुनिश्चित सीटों की आरक्षित व्यवस्था में अलग चुनकर जाएंगे.....
2⃣और दूसरा दो वोटों का अधिकार मिला,
एक वोट आरक्षित सीट के लिए और दूसरा वोट अनारक्षित सीट के लिए....
यह अधिकार दिलाने से बाबा साहेब डा. अम्बेडकर का कद समाज में काफी ऊँचा हो गया,डा. अम्बेडकर जी ने इस अधिकार के सम्बन्ध में कहा....👇🏽
🔄पृथक निर्वाचन के अधिकार की मांग से हम हिन्दू धर्म का कोई अहित नहीं करने वाले है,......हम तो केवल उन सवर्ण हिन्दुओं के ऊपर अपने भाग्य निर्माण की निर्भरता से मुक्ति चाहते है....
🚫मिस्टर गांधी कम्युनल एवार्ड के विरोध में थे....वे नहीं चाहते थे कि अछूत समाज हिन्दुओं से अलग हो....
वे अछूत समाज को हिन्दुओं का एक अभिन्न अंग मानते थे....
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लेकिन जब बाबा साहेब डा. अम्बेडकर ने गांधी से प्रश्न किया कि....👇🏽
प्रश्न ~अगर अछूत हिन्दुओं का अभिन्न अंग है तो फिर उनके साथ जानवरों जैसा सलूक क्यों..?
लेकिन इस प्रश्न का जवाब मिस्टर गांधी बाबा साहेब को कभी नहीं दे पाएं....
बाबा साहेब ने मिस्टर गांधी से कहा कि.... मिस्टर मोहन दास करम चन्द गांधी....आप अछूतों की एक बहुत अच्छी नर्स हो सकते है....परन्तु मैं उनकी माँ हूँ....और माँ अपने बच्चों का अहित कभी नहीं होने देती है....
  🌻 मिस्टर गांधी ने कम्युनल एवार्ड के खिलाफ आमरण अनशन कर दिया....
उस समय वह यरवदा जेल में थे और यही वह अधिकार था जिस से देश के करोड़ों अछूतों को एक नया जीवन मिलता और वे सदियों से चली आ रही गुलामी से मुक्त हो जाते.....लेकिन मिस्टर गांधी के आमरण अनशन के कारण बाबा साहेब की उमीदों पर पानी फिरता नज़र आने लगा,
मिस्टर गांधी अपनी जिद्द पर अडिग थे तो बाबा साहेब किसी भी कीमत पर इस अधिकार को खोना नहीं चाहते थे....
आमरण अनशन के कारण गांधी जी मौत के करीब पहुँच गए इस बीच बाबा साहेब को धमकियों भरे बहुत से पत्र मिलने लगे........जिसमे लिखा था कि वो इस अधिकार को छोड़ दें अन्यथा ठीक नहीं होगा........ बाबा साहेब को ऐसे पत्र जरा सा भी विचलित नहीं कर सके....उन्हें अपने मरने का डर बिलकुल नहीं था....
मिस्टर गांधी की हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी..............इसी बीच बाबा साहेब को और खत प्राप्त हुए कि अगर गांधी जी को कुछ हुआ तो हम अछूतों की बस्तियों को उजाड़ देंगे....
बाबा साहेब ने सोचा जब अछूत ही नहीं रहेंगे तो फिर मैं किसके लिए लड़ूंगा,.........बाबा साहेब के जो मित्र थे उन्होंने भी बाबा साहेब को समझाया कि....
अगर एक गांधी मर गया तो दूसरा गांधी पैदा हो जायेगा लेकिन आप नहीं रहेंगे तो फिर आप के समाज का क्या होगा..........बाबा साहेब ने काफी गंभीरता से विचार करने के बाद पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर करने का मन बना लिया....
और 24 सितम्बर 1932 को आँखों में आंसू लिए हुए बाबा साहेब ने पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किये इस संदर्भ में बाबा साहेब का नाम अमर रहेगा क्योंकि उन्होंने मिस्टर गांधी को जीवन दान दे दिया...
तीसरे दिन डा. अम्बेडकर ने पूना पैक्ट का धिक्कार दिवस आयोजित किया........मंच से रोते हुए डा. अम्बेडकर जी ने कहा कि "पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर करके मैंने अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती की है..........मैं ऐसा करने को विवश था....मेरे बच्चों....
मेरी इस भूल को सुधार लेना...
बाबा साहेब ने अपने जीवन में कभी मिस्टर गांधी को महात्मा नहीं माना वे "ज्योतिबा फुले "_= जी को सच्चा महात्मा मानते है....

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