आरक्षण का एक निश्चित अंत है। मगर जाति और जातिवाद का कोई निश्चित अंत है ??

प्रश्न: आरक्षण कब और कैसे "निश्चित रूप से" ख़त्म होगा ??
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उत्तर: बहोत ही संभव और मुमकिन है कि आरक्षण अपने आप ही ख़त्म हो जायेगा। कैसे ?? यदि आप पिछले 10 साल के उच्च शिक्षण  संस्थानों जैसे की IIT, IIM, REC, UPSC वगैराह के परिणाम और Cut-Off लिस्ट उठा कर देखेंगे तो समझ जाएंगे की इनमे पसंद किए सारे छात्रों के अंकों के बीच काफी कम फर्क बचा है। General और OBC में मुश्किल से 1% का फर्क दीखता है। यही हाल राज्य स्तरीय शैक्षणिक संस्थानों का है। दुसरे और तीसरे स्तर के संस्थानों में ये फर्क ज़्यादा हो सकता है मगर वो भी धीरे धीरे काम होता जा रहा है। ये इस बात का संकेत है कि आरक्षण का मकसद पूरा होते जा रहा है।


जिस दिन सभी वर्ग के लोगो के चयन में कोई फर्क नहीं रहेगा, आरक्षण अपने आप मूल्यहीन हो जायेगा और समाप्त हो जायेगा। ये बात निश्चित है।

आज की तारीख में बहोत लोग शिकायत करते है जी एक काबिल छात्र को मौका नहीं मिला और आरक्षण का लाभ उठा कर कोई नाकाबिल उसका हक़ मर गया। मित्रो, ये समस्या इस लिए नहीं है क्योंकि आरक्षण है बल्की इस लिए है क्योंकि हमारे देश में उच्च कोटि के पुरते संस्थान नहीं है। सोचिये की इतने बड़े देश में गुने चुने IIT और IIM है। होना तो ये चाहिए की हर राज्य के अपने IIT और IIM हो और वो भी आबादी के बराबर।

जब देश में पुरते संस्थान होंगे, तब सबको मौका मिलेगा और ये शिकायत भी किसी को नहीं रहेगी।

कहने या तात्पर्य यब है कि "आरक्षण" की समस्या का समाधान "निश्चित" है। जब ऊपर विस्तारित पहलु अपना मुकाम हासिल कर पाएंगे, आरक्षण का विनाश होना निश्चित है।

मगर...

"जाति" और "जातिवाद" की समस्या का कोई "निश्चित"समाधान है ??

सोचियेगा।

जय हिंद।

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